त्रिवेणी संग्रहालय, उज्जैन

त्रिवेणी संग्रहालय, उज्जैन

271 1 Government Organization

07342555781 triveni.museum@gmail.com www.culturemp.in/triveni-museum.php

Jaisinghpura ,rudra sagar talab, Ujjain, India - 456006

Is this your Business ? Claim this business

Reviews

Overall Rating
5

1 Reviews

5
100%
4
0%
3
0%
2
0%
1
0%

Write Review

150 / 250 Characters left


Questions & Answers

150 / 250 Characters left


About त्रिवेणी संग्रहालय, उज्जैन in Jaisinghpura ,rudra sagar talab, Ujjain

संग्रहालय स्थापना का मूल विचार
भारतीय स्मृति और मूल्यबोध का स्थापत्य शैव, शाक्त और वैष्णव परम्परा के आख्यानों से निर्मित हुआ है। शास्त्र की परम्परा से लेकर लोक की वाचिक परम्परा तक इन आख्यानों को सदियों से कथा वाचकों ने लोक स्मृति में विस्तारित किया है। एक जीवन्त परम्परा बनाये रखने में इन कथाव्यासों का केन्द्रीय योगदान है।

हमारी स्मृति अतीत के आयाम में जितना भी पीछे जा सकती है, उतने समय की कल्पना के अतीत से भी पुराने ये आख्यान हमारे जातीय जीवन की प्रेरणा और मूल्यबोध के केन्द्र में अपनी जगह बनाये रखकर एकदम समकाल तक कलाओं के कितने सारे माध्यमों में अभिव्यक्त होते हैं। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग ने इन आख्यानों के कला वैविध्य को अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए नियोजित प्रयास परिकल्पित किया है। इन भारतीय आख्यानों का कितना विविध और विशाल कला विश्व निर्मित हो सकता है, इन्हीं संभावित कलाभिप्रायों को यहाँ प्रदर्शित किया जाना है। त्रि-वेणी भारतीय आख्यान परम्परा के विस्तार का ललित संसार होगा।

सामान्यतः संग्रहालय में पुरावशेषों, ऐतिहासिक रूप से महŸवपूर्ण सामग्रियों, अभिलेखों, चित्रों और शिल्पों आदि को संरक्षित किया जाता है, जो हमारी स्मृति में अतीत को जीवन्त करते हैं और हमारे सांस्कृतिक दाय को सुरक्षित रखते हैं, जिससे हम अपनी परम्परा से साक्षात्कार कर सकें। इस अर्थ में त्रि-वेणी को अनादिदेव शिव, माँ भगवती और श्रीकृष्ण से सम्बन्धित विभिन्न कला सामग्रियों का संग्रहालय कहने में संकोच होगा, क्योंकि यहाँ प्रदर्शित होने वाले चित्र, शिल्प, संगीत, साहित्य और प्रतीक जीवन्त परम्परा का भाग हैं, अतीत की स्मृति और लुप्त कला परम्परा नहीं। भारत के अलग-अलग प्रान्तों में अनेक लोक शिल्पी स्थानिक पद्धति से इन आख्यानों को चित्रित, उत्कीर्णित और रूपायित कर रहे हैं। यह सब हमारी समकालीन परम्परा का भाग है।

भारतीय ज्ञान परम्परा का यह कला विश्व एक ही साथ अकल्पनीय समय-सातत्य का साक्ष्य भी है और आख्यान को कला में रचने के कौशल का प्रमाण भी। पवित्र उज्जैन नगर महाकाल का स्थान है, लीला पुरूषोŸाम श्रीकृष्ण की ज्ञान स्थली और माँ भगवती हरिसिद्धि स्वरूप विराजमान हैं- अब इनके कलाधाम की ‘त्रि-वेणी‘ भी यहीं होगी।

सनातन का समकाल
भारतीय ज्ञान परम्परा में त्रित्व की परिकल्पना और उसका दैवीयकरण मनुष्य की अभिव्यक्ति सम्भावना का अन्तिम पड़ाव कहा जा सकता है। वेद, उपनिषद्, पुराण, संहिता आदि-आदि अनेक ग्रन्थ इसके प्रमाण हैं। भारतीय मनीषा ने इन सनातन कथाओं को प्रत्येक समय में पुनर्भाषा और उसकी व्याख्याएँ सभ्यताओं के कल्याण के लिए की हैं। उदाहरण के रूप में श्रीकृष्ण के चरित और उनके आख्यान से जिस परम्परा का विकास भारतीय भूमि पर हुआ, उसका पुनर्पाठ अपने समय में सन्त कवि सूरदास ने किया है। लोक परम्पराओं ने कृष्ण के चरित से जन्म का लालित्य और चारण प्रवृत्ति से अनेक कला परम्पराओं का विकास किया है। यह भी एक तरह से इस सनातन कथा का पुनर्पाठ ही कहा जायेगा, जो इस सनातन कथा की समकालीन रचना है।

मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग भारतीय ज्ञान परम्परा के आदिपुरुष अनादिदेव शिव, माँ भगवती दुर्गा और श्रीकृष्ण के सनातन आख्यानों को समकालीन रचनाधर्मिता की सामर्थ्य में एक बार फिर से प्रकट करने का उद्यम कर रहा है। जैसा कि पुनर्पाठ मेें ही यह सन्निहित है कि उसके पूर्व की परम्परा से पृथक ही अभिव्यक्ति का प्रयास किया जा रहा है- कथा आधार आवश्यक रूप से सनातनता का होगा। यह प्रयास ही वास्तव में सनातन आख्यान की सामर्थ्य को समकालीन मानवीय सभ्यता के अनुकूल और उसके समझ की भाषा तथा तकनीक में सम्प्रेषित करने का सार्थक उद्यम भी होगा।

समय के अन्तराल में इन महान सनातन आख्यानों के लोकव्यापीकरण के लिये ऐसे लोकाचरणों का विकास हुआ, जिससे उŸारोत्तर सत्य विलुप्त हो गया, बचा रहा तो सिर्फ आचरण। हमारे समय में प्रायः दो ही तरह के लोग पाये जाते हैं। एक वे जो बिना जाने हुए उसके आचरण में है और दूसरे वे जो बिना जाने हुए उसकी आलोचना में। इस दृष्टि से देखा जाये तो दोनों की भिज्ञताएँ समान हैं। ऐसे समय में इन आख्यानों को नयी भाषा और नये कलेवर के साथ व्यक्त करने की जरूरत हर पीढ़ी को समझने के लिये होती है। इसी सम्भावना को इस योजना में अभिव्यक्त किये जाने का प्रयास किया गया है

Popular Business in ujjain By 5ndspot

© 2024 FindSpot. All rights reserved.