Soron Ji

Soron Ji

552 18 Hindu Temple

9548503435 gourav.varshney@gmail.com www.soronji.org

Kasagnj, Soron, India - 207403

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About Soron Ji in Kasagnj, Soron

जिस समय हिरणयाक्ष दैत्य पृथ्वी का हरण करके रसातल मे ले गया तब सम्पूर्ण संसार मे जल ही जल हॊ गया जीवन नष्ट हॊ रहै थे तब पृभू श्री विष्णु ने जगत मे तृतीय अवतार वराह अवतार (शूकर अवतार) उत्तर भारत के सॊरॊं (शूकर क्षेत्र ) नामक तीर्थ मे हुआ था हिरण्डाछ दैत्य के बध के बाद वाराह भगवान अपने दाँतो पर रख कर पृथ्वी को निकाल कर लाये एवं अपने कर कमलो कें दृारा एक कुंड की स्थापना की एवं दसमी तिथी को उपवास रख कर एकादशी को अपने शूकर रूप का त्याग करने के लिये इसी कुंड मे अपने शरीर का त्याग किया जिसके लिये आज भी पृतिवर्ष अगहन मास की पृथम एकादशी को कुम्भ एवं मेले का आयोजन होता है इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जानते हैपृथ्वी एवं वराह भगवान के बीच हुऐ सम्बाद मे वराह भगवान ने पृथवी से कहा है पृथ्वी जो भी मेरे इस तीर्थ मे अपने पितृो का तर्पण एवं पिण्डदान करेगा उन्है मोक्ष की पृाप्ती होगी यहाँ आज भी हर रोज सैंकडो श्रृदालू अपने पितृो की अस्थियाँ विसर्जित कर पिण्दान कराते है इस कुंड मे डाली गयी समस्त अस्थियाँ वाराह भगवान के वरदान अनुसार घण्टे मे जल मे विलीन हो जाती है
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