Specialist ODC Transportation Service

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754 2 Transportation Service

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183/23 A PCMC, Pune, India - 411044

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About Specialist ODC Transportation Service in 183/23 A PCMC, Pune


विगत ७० के दशक से अपने चार छोटे कार्यालयों से शुरू हुई नगण्य छोटी सी व्यापारिक संस्था ऐ .बी .सी .सी भारतीय परिवहन प्रकल्प ने आज
न केवल बड़े शहरो अपितु देश के अत्यधिक दुर्गम स्थानों में भी अपने चुनौती पूर्ण कठिनकार्यो व्यापारिक पारदर्शिता , अनुकूल निष्कर्षो ,ग्राहकों के प्रति सेवानिष्ठता ,उन्नत नीतियों ,दक्ष कर्मचारियों ,एकवचनी व्यापर और कर्तव्यपरायणता जैसी सुनितियो के कारन उत्तम निष्कर्ष और गरिमामय ग्राहक प्राप्त किये हैं. हमने अपने विरोधियो को भी नवीनीकरण से अवगत कराकर व्यापर की परिभाषा समझायी। वर्त्तमान समय की पूंजीवादी चाटुकार और कुटिलता भरे व्यापारिक परिवेश में हमने हर छोटे- बड़े व्यापारी वर्ग के हितो की रक्षा के लिए पुरे भारत में प्रीपेड ट्रांसपोर्टेशन की शुरुवात की। और कदाचित कुछ हद तक सफलता भी पायी। आज हमने भारत में ही नहीं अपितु नेपाल ,भूटान ,बांग्लादेश जैसे देशो में अपने ग्राहकों के विश्वास को सम्मानित किया। आशा है हमें भविष्य में भीं हमारे ग्राहकों से हमें सेवा का अवसर मिले और वे अपने यथोचित मार्गदर्शन में हमारे अनुभवों का लाभ उठा सके। हमारा हर प्रयास ऊतम से अतिउत्तम की और होता है। ग्राहकों के हित को प्राथमिकता देते हुए उनके हितो की रक्षा हेतु हमारे पास सदैव उपयुक्त अनुसन्धान होते रहते है।
परिवर्तन प्रकृति का सबसे बड़ा सत्य है और दूरदर्शिता व्यापारिक सफलता की सबसे बड़ी कुंजी। हमने इन तथ्यों को आदरपूर्वक स्वीकारा ही नहीं अपितु इनका कार्यान्वयन भी किया । परिणाम स्वरुप आज हम भारत में प्रोजेक्ट कार्गो ट्रांसपोर्टेशन में आठवे स्थान और ट्रेलर ट्रांसपोर्टेशन में तेरहवे स्थान पर विद्यमान है। हम हमेशा प्रयासरत होते है की गलती से भी कोई गलती न हो। इसके कार्यान्वयन हेतु हमने अपने हर कार्यक्षेत्र में दक्ष कर्मचारियों की नियुक्ति की है । हमारा प्रयास है भविष्य में ग्राहक हमसे अपनत्व की भावना से अपनी सारी शंकाये - आशंकाए मैत्रीपूर्ण व्यव्हार से हमारे समक्ष व्यक्त करे और कार्य के अच्छे निष्कर्षो हेतु स्वयं हमसे तर्क कर अपने अवसादों - अपवादों से निदान और अपेक्षित निष्कर्ष प्राप्त करे .
Specialist For -
O- over,D- dimension,C-Consignment
O- over,W- Weight ,C- Consignment

ओ.डी.सी. ट्रांसपोर्टेशन जितना छोटा शब्द है उससे कही अधिक वास्तविक स्वरुप में इसका कठिन कार्यान्वयन है भारतीय राजमार्गो पर .जिसका प्रमुख कारन भारतीय बहुप्रांतीय भौगोलिक ,राज्यस्तरीय विविधता अनुकूलता के प्रतिकूल जर्जर और उपेक्षित राज्यमार्ग ,कर,अनपेक्षित दंड व नियमो में विविधता ,स्थानिक बाहुबलियों का हस्तक्षेप ,प्रशासनिक रंगदारी ,सरकारी गैर जिम्मेदारी व व्यापारिक संगठनो की उपेक्षा व अवसरवादिता यह कुछ ऐसे नगण्य तथ्य है जिन्होंने ऐसे कार्यो को निष्कारण जटिल बना रखा है .
हम खुदको प्रगतिशील राष्ट्र की संज्ञा से सम्बोधित करते है .किन्तु क्वचित पूंजीपतियों के पूंजीवाद को बढ़ावा देने हेतु हमारा उच्च कार्यकारी वर्ग निम्नवर्ग व्यापारिक समस्याओ और जमीनी वास्तविकता को सुनना ही नहीं चाहता .
बड़ी अड़चने -

१)जर्जर राज्यमार्ग -
आज पूंजीवाद की चाटुकारिता वश आये दिन पुरानी वाहनों के बंदी की बात की जाती है ,किन्तु कोई भी महानुभाव मार्गो -महामार्गों के वास्तविक जमीनी विकास को सार्थक नहीं करता .बी एस .४ को बढ़ावा देनेवाले क्या भारतीय मार्गो से अवगत नहीं .

२) राज्यस्तरीय विविधता -
राज्यस्तरीय विविधता को केवल भौगोलिक रूप से न देखते हुए प्रशासनिक रूप से देखे तो प्रतीत होता है .यहाँ एक राज्य किसी चीज या कार्य की अनुमति देता है तो कोई इसका खंडन करता है .हर व्यक्ति आय कर सामान रूप से हर राज्य में देता है किन्तु व्यावसायिक कार्य हेतु हर राज्य में भिन्न भिन्न कागजी करवाई और करो के साथ हर एक रक्तबीज जैसे भ्रस्ट अधिकारियो का सामना करना पड़ता है ,जो कदाचित वास्तविक रूप से अमानवीय होता है .

३)अनपेक्षित दंड व नियम
अनपेक्षित दंड व नियमो का हाल कुछ ऐसा है १ इंच की बढ़ोतरी के लिए छत्तीसगढ़ -३०००,राजस्थान -५०००, गुजरात -१०००० तो महाराष्ट्र १२,४०० वसूलता है व तदोपरांत राज्य सीमाओं पर प्रशासनिक अदिकारी रंगदारी की जबरन उगाही करते है .जिसपर कोई भी आलाकमान ध्यान और टिपण्णी नहीं करना चाहता .(भ्रान्ति ऐसी है के इसमें मुख्यमंत्री से परिवहन मंत्री तक का योगदान होता है .)

४) स्थानिक बाहुबलियों का हस्तक्षेप

स्थानिक बाहुबलियों का हस्तक्षेप ओ.डी.सी. ट्रांसपोर्टेशन में सबसे बड़ा अवरोध है . निर्गम क्षेत्रो में स्थानिक कुख्यातों के माध्यम से प्रशासनिक मदत से क्वचित बाहुबली अनायास रंगदारी अनैतिक रूप से उगाही करते है .उत्तर पूर्वी राज्यों व अन्य नगरों में इसके जिवंत उदहारण सुनाई देते है साथ ही बड़े सरकारी तबके के मंत्रियो के नाम से यह उगाही आये दिन बढाती जा रही है .

५ )अनुमति पत्र में अत्यधिक विलम्ब व लम्बी दलाली -

बड़े कठिन परिवहन के बनाने और खरीदी विक्री में कोई सरकारी समस्या नहीं किन्तु मोती कर अदायगी के बावजूद उसके परिवहन आवागमन में अनुमति पत्र के नाम पर मोटी रकम और अत्यधिक समय लिया जाता है .और इस निष्क्रिय प्रक्रिया में सर्वप्रथम परिवहन सेवा संसथान को दोषी ठहराया जाकर उसका शोषण किया जाता है . कारखाने मालिकों व व्यापारिक कर प्रणाली को इसपर गूढ़ विचार करना चाहिए क्योकि यह समस्या गंभीर है .साहित्य की बिक्री के साथ इसके परिवहन की अनुमति पत्र भी साथ हे मिलना चाहिए कर कार्यालय से जनहितार्थ ऐसा करना अतिशय उपयुक्त है .

६)ईंधन प्रणाली -

हमारे देश में आये दिन नए घोटाले और धांधलियाँ होती है , ईंधन विभाग में इसकी कोई सीमा नहीं .ईंधन में सब्सिडी छूट भी मिलती है एक बड़े जनसँख्या वर्ग के लिए किन्तु कुछ लोग उसका अनुपयुक्त दुरूपयोग अधिक करते है .हमारे विचार में सब्सिडी का ईंधन केवल परिवहन वाहनों को मिले जिससे यातायात और दैनिक उपयोगी वस्तुओ के भाव में अपेक्षित किफ़ायत मिले .

७)चाटुकार टेंडरिंग प्रणाली -

पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करते भारतीय सरकारी - गैरसरकारी लगभग काफी संस्थाओ में निवीदा (टेंडरिंग प्रणाली) को महत्व मिला . किन्तु हम है तो भारतीय ,कुछ आपसी जयचंदो ,पूंजीवादी लालच ,बाहुबली प्रभाव ,व्यक्तिगत स्वार्थ ,क्वचित लाभ के वशीभूत होकर कई बड़े कर्मचारी अपने स्वाभिमान से समझौता कर बैठते है .परिणाम स्वरुप वो अपने पद ,संस्था की प्रतिष्ठा और भविष्य से खेल जाते है . पुणे,नैनी ,कोलकाता ,असम में शक्ति प्रकल्प और अन्य व्यापारों से जुडी संस्था की अवनीति इसका जिवंत उदहारण है .यदि हर बार नियमतः विक्रयी ,विक्रेता ,सेवादार बदला जाये तो कदाचित इन प्रश्नो से कुछ हद तक निजात मिले .

८)प्रशासनिक बल ताड़ना -

उपरोक्त विषय में जयचंद का जिक्र किया गया है .यहाँ भी कुछ ऐसा है भारी कर और दंड राशि के बाद भी वहां चालकों को प्रशासनिक धुरंधरों से उगाही अपमान का सामना करना पड़ता है ..

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